राउत बोले- “INDIA गठबंधन था लोकसभा वाला, BMC तो लोकल मामला

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

शिवसेना (उद्धव बाळासाहेब ठाकरे) के सीनियर नेता संजय राउत ने अपने हालिया बयान से सियासी तड़का लगा दिया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों में INDIA गठबंधन या महाविकास आघाड़ी की कोई जरूरत नहीं है। यानी अब BMC चुनावों में ‘लोकल मुद्दे’ ही हीरो बनेंगे, गठबंधन नहीं!

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राउत बोले, “INDIA गठबंधन लोकसभा के लिए था और MVA विधानसभा के लिए। BMC चुनाव पूरी तरह से लोकल बिसनेस है, इसमें नेशनल कंपनी की क्या ज़रूरत?”

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राजनीतिक पंडितों की मानें तो यह बयान उद्धव ठाकरे की पार्टी की नई रणनीति का इशारा है। सूत्रों की मानें तो मनसे अब उनकी शॉपिंग लिस्ट में शामिल है। संजय राउत ने भी इस बात से इंकार नहीं किया कि “जनता का दबाव है कि मनसे और शिवसेना (उबाठा) साथ आएं।”

अब ये जनता कौन है और ये दबाव कैसे मापा गया — ये सवाल छोड़िए, राजनीति में ‘दबाव’ अक्सर सुविधाजनक होता है।

शरद पवार बोले – “उद्धव ताक़तवर हैं”, लेकिन गठबंधन के दरवाज़े पर खामोशी

एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने हाल ही में उद्धव ठाकरे की मुंबई में पकड़ को ताकतवर बताया था, लेकिन अब जब संजय राउत ने गठबंधन से दूरी की बात की, तो एनसीपी में सन्नाटा छा गया है।

कांग्रेस खेमे में भी चाय की चुस्कियों के साथ सवाल उठने लगे हैं — “तो अब क्या हम भी एक्सपायरी डेट पार हो गए?”

शिंदे गुट का हमला – “पार्टनरशिप ऑन रेंट थी क्या?”

शिंदे गुट के कद्दावर नेता उदय सामंत ने इस पर तंज कसते हुए कहा, “लोकसभा में INDIA की जरूरत थी, तो गठबंधन किया। अब मनसे की जरूरत है तो उनकी तरफ झुक गए। यही वजह है कि हमने इनसे नाता तोड़ा।”

यानि राजनीति में रिश्ते भी मोबाइल डेटा पैक जैसे हो गए हैं – जरूरत के हिसाब से एक्टिवेट करो, फिर भूल जाओ!

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